चलन हिन्दी चलूँ, हिन्दी पहरना, ओढ़ना खाना चलन हिन्दी चलूँ, हिन्दी पहरना, ओढ़ना खाना
जिंदगी तुझे क्या मैं कहूं हाँ.. तुझसे थोड़ी खफा हूँ। जिंदगी तुझे क्या मैं कहूं हाँ.. तुझसे थोड़ी खफा हूँ।
समय का खेल है ये खेल कोई खबर नहीं कोई मेल नहीं.... समय का खेल है ये खेल कोई खबर नहीं कोई मेल नहीं....
ऐसी ही रहना हँसते खिलना कभी खोना नहीं अपनी मुस्कान कहीं तुम्हे मेरी नजर ना लग जाये ऐसी ही रहना हँसते खिलना कभी खोना नहीं अपनी मुस्कान कहीं तुम्हे मेरी नजर...
बातेंं जो थी मेरी तेरे लिए ही यादेंं वो बनी हैं मेरे लिए भी तू भूला हैैैैै मुझे क्यों बातेंं जो थी मेरी तेरे लिए ही यादेंं वो बनी हैं मेरे लिए भी तू भूला हैैैै...
जब विपति पड़ी अपने सिर पर फिर शीश पकड़ि क्यों रोवत है। जब विपति पड़ी अपने सिर पर फिर शीश पकड़ि क्यों रोवत है।